Types of Monitor in hindi :
Types of Monitor in hindi : मोनिटर को Interface और working technology के आधार पर अलग अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है जो कि इस प्रकार है
What is Monitor
किसी भी computer system से output प्राप्त करना user के लिए एक अति महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि output के प्राप्त नही होने तक computer के किसी भी job को पुर्ण नही माना जाता है। monitor को computer से output प्राप्त करने की सबसे आसान और सबसे व्यापक output device माना जाता है।
monitor एक visual display unit होती है, जो user के लिए system द्वारा एक process किए गए data को दिखाती है। इस device की सहायता से एक computer जैसी screen पर user द्वारा दिए गए input को एवं computer के द्वारा कि जा रही data processing को भी देखा जा सकता हें इस कारण से ही इसे monitor कहा जाता है।
Monitor T.V. की screen के समान दिखाई देने वाली device होती हे। इस device में एक picture tube के रूप में electronic vaccum tube लगी होती है। जिस पर user के द्वारा में data text image और motion picture (movie) देखी जा सकती है।
Types of Monitor in hindi :
Technology के अनुसार monitor को निम्न दो category में रखा जाता है।
- Analog Monitor
- Digital Monitor
Analog Monitor :
- इस प्रकार के Monitor Analog signal का उपयोग करते है,
- इन monitors के internal circuit में ELECTRONIC circuit के स्थान पर coil technology पर आधारित Analog circuit रहते है।
- यह circuit , CTR (cathode Ray Tube) की सहायता से video signal को display करवाते है।
- Analog monitor में उपयोग में लाए जाने वाले circuit तांबे के तार से बनी coil पर आधारित होते है।
- इस कारण ये अधिक electronic current का उपयोग करते है और जल्द ही गरम हो जाते है।
Digital Monitor :
- monitor के क्षेत्र में एक क्रांती के रूप में Digital Monitor का उपयोग प्रारंभ हुआ है।
- Digital monitor में coil एवं tube के स्थान पर Integrated circuit (IC)का उपयोग होता है।
- IC के रूप में use में लाए जाने वाले electronic circuit कम Voltage पर कार्य करते है।
- जिसके कारण यह circuit लंबे समय तक गर्म नही होते है।
Working के अनुसार monitor को निम्नलिखित वर्गीकृत किया जाता है।
CTR Monitor :
Monitor मे सबसे महत्वपूर्ण unit उसकी picture element tube होती है। जो user को object display करवाती है। इस प्रकार के monitor में picture tube के लिए cathode Ray tube (CTR) का उपयोग किया जाता है।
CRT Monitor |
CTR एक glass material से बनी funnel के समान दिखाई देने वाली है। जिसका एक छोर लगभग समतल plate के समान और दुसरा छोर तक close tube होता है। इस tube में वायु निकाल कर निर्वात बना दिया जाता है। इस tube के समतल सतह पर phosphorus की coating (परत) की जाती है CTR के close end पर एक Electron gun लगाई जाती है यह Electron gun बहुत तेज गति के Electron उत्सर्जित करती है यह Electron tube कि समतल सतह पर जा कर टकराता है। इस सतह पर phosphorus की परत रहती है।
इस कारण से Electron के टकराने पर चमक उत्पन्न होती है| CTR में Electron beam को control करने के लिए दो प्रकार के voltage apply किए जाते है। horizontal deflection (voltage) यह voltage Electron beam को x अर्थात horizontal दिशा में move करता है। vertical deflection voltage – यह voltage Electron beam को y अर्थात vertical दिशा में move करता है। यह दोनो voltage Electron beam को screen पर move करवाते है, और screen पर picture बनाते है।
यह दोनो voltage screen पर pixel की position को निर्धारित करते है और Electron beam को picture की आकृति के अनुसार control करते है CTR Monitor में picture की quality Tube मे use किये जा रहे Electron beam की point position और monitor के refresh rate पर निर्भर करती है। किसी monitor में refresh rate जितना अधिक होगा उस monitor की picture quality उतनी ही अधिक स्पष्ट होगी। CTR monitor पुरी तरह से Electron voltage पर ही work करते है। इस कारण से इसमे बिजली की खपत अधिक होती है।
LCD monitor –
एल. सी. डी. monitor सामान्यतः liquid crystal display कहलाते है। जिनमे Electron beam के स्थान पर एक अत्यंत छोटे आकार के Electron diode का उपयोग pixel बनाने मे किया जाता है।
LCD Monitor |
इस प्रकार के monitor में liquid crystal का एक small dot के आकार का अवयव उपयोग मे लाया जाता है। जो बहुत कम voltage के मिलने पर चमक उत्पन्न करता है। इस crystal को अलग – अलग प्रकार से voltage देने पर अलग – अलग के colors में चमक उत्पन्न होती है। इन crystal को एक निष्चित संख्या में screen के लिए matrix के रूप में व्यवस्थित किया जाता है।
इस matrix में crystal को voltage देने के लिए बहुत हि पतले matrix का graph बनाया जाता है। यह matrix row और column no. के आधार पर प्रत्येक crystal को एक अलग पहचान देता है जब भी किसी picture को LCD पर display करवाना होता है, तब उस picture के लिए आवष्यक matrix format को voltage regular system (VRS) के लिए दिया जाता है। यह VRS दिये गये matrix format के अनुसार signal generate rate करता है,और वह picture screen पर दिखाई देती है।
यह monitor में उपयोग मे लाये जाने वाले liquid crystal एक ही दिशा मे प्रकाश को उत्पन्न करते है इस कारण से monitor को उसकी किसी एक side से देखने पर picture clear दिखाई नही देती है। LCD monitor crystal बहुत ही कम voltage पर work करते है, इस कारण से इस monitor मे बिजली की खपत कम होती है।
Flat panel display (plasma panel) –
वर्तमान समय मे computer system के साथ flat screen वाले monitor का उपयोग प्रचलित हो हलं है जिसमें plasma vision अधिक उपयोगी होते है। LCD monitor मे सबसे अधिक समस्या screen को किसी अलग direction से view करने से होती है, क्योकि ऐसी किसी भी परिस्थिति में picture का view clear नही होता हे। परंतु plasma monitor में picture का view किसी भी direction से एक समान दिखाई देता हे।
- Plasma monitor को बनाने के लिए neon गैस का उपयोग किया जाता है,
- इस गैंस को एक विशेष ताप पर सम्प्रेषित (compress) करने पर यह गैस एक ऐसी परिस्थिति में आ जाती है,
- जहां ये न तो liquid कही जा सकती है और न ही गैंस की इस अवस्था को plasma कहा जाता है।
- यह plasma दो पतली पारदर्षी काच की प्लेटो के बीच fill कर दिया जाता हे।
- इन काच की प्लेटो पर पारदर्षी विद्युत चालक ink की horizontalऔर vertical line बना दी जाती है
- जो किसी graph paper के समान होती है।
- इन दोनो प्लेटो मे से किसी एक प्लेट पर horizontal और अन्य प्लेट पर vertical lines होती है।
- Neon के plasma को जिन दोनो प्लेटस के बीच रखा जाता है,
- वह plates एक electronic circuit से connect रहती है।
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- इन plates पर पारदर्षी विद्युत चालक ink का matrix बना होता है।
- जब भी किसी picture को screen पर display करवाना होता है,
- तब उस picture के लिए आवष्यक pixel की screen पर display करवाना होता है।
- तब उस picture के लिए आवष्यक pixel की screen position के अनुसार voltage काच की प्लेटो पर प्रवाहित किया जाता है।
- voltage के कारण दोनो प्लोटों के बीच plasma के ion (कण) आवेषित हो जाते है और चमक उत्पन्न करते है,
- इस प्रकार picture के लिए आवष्यक सभी pixel position पर voltage दिया जाता है।
- इस voltage के कारण position के सभी ion एक साथ glow करते है और picture screen पर दिखाई देता है।
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