Types of Computer Memory in hindi | कम्प्युटर मेमोरी के प्रकार

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computer memory

Computer Memory :  Memory से तात्पर्य एक ऐसी इकाई से है जो आवश्यकता अनुसार Data को Store करके रख सके कंप्यूटर मेमोरी ( computer memory ) को दो भागो में विभक्त किया गया है –

1. प्रायमरी मेमोरी ( Primary memory or Main Memory ) :

  • वह मेमोरी यूनिट जो सीधे सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट से संपर्क रखती है तथा हर समय कंप्यूटर से जुडी रहती है, प्राथमिक या मुख्य मेमरी कहलाती है।
  •  प्राथमिक मेमरी अनेक छोटे भागों में बंटी होती है जिन्हें लोकेशन या सेल कहते हैं|
  •  प्रत्येक लोकेशन में एक निश्चित बिट जिसे वर्ड लेंथ कहते हैं, स्टोर की जा सकती है।
  •  कंप्यूटर में वर्ड लेंथ 8, 16, 32 या 64 बिट की हो सकती है |
  • लोकेशन में डेटा संग्रहित करने को लिखना (write) तथा  डेटा प्राप्त करने को पढ़ना (read) कहते हैं।
  •  प्राथमिक मेमोरी मुख्यतः इलेक्ट्रॉनिक या सेमीकण्डक्टर मेमोरी होती है |
  •  इनमें इंटीग्रेटेड सर्किट का प्रयोग किया जाता है जो सिलिकन चिप के बने होते हैं ।
  •  इसके विकास का श्रेय जे- एस- किल्बी को जाता है |
primary memory
primary memory

1.1  ROM :

  • यह एक स्थायी (computer memory) मेमोरी है जिसमें संग्रहित डेटा व सूचनाएं स्वयं नष्ट नहीं होती हैं।
  •  संग्रहित डेटा व सूचनाओ को बदला भी नहीं जा सकता |
  •  कंप्यूटर को बंद कर देने पर भी ROM में सूचनाएं बनी रहती हैं ।
  •  ROM का प्रयोग स्थायी प्रकृति के प्रोग्राम तथा डेटा के संग्रहण के लिए किया जाता है|
  • यह एक स्थायी मेमोरी है जिसमें संग्रहित डेटा व सूचनाएं स्वयं नष्ट नहीं होती हैं।
  •  संग्रहित डेटा व सूचनाओ को बदला भी नहीं जा सकता |
  •  कंप्यूटर को बंद कर देने पर भी ROM में सूचनाएं बनी रहती हैं ।
  •  ROM का प्रयोग स्थायी प्रकृति के प्रोग्राम तथा डेटा के संग्रहण के लिए किया जाता है|

1.1.1. PROM :

  • यह एक विशेष प्रकार का ROM है जिसमें एक विशेष प्रक्रिया द्वारा उपयोगकर्ता के अनुकूल डेटा को प्रोग्राम किया जा सकता है।
  • एक बार प्रोग्राम कर दिए जाने के बाद यह सामान्य ROM की तरह व्यवहार करता है।

1.1.2. E-PROM :

  •  इस प्रकार की ROM में पराबैंगनी किरणों (ultra violet rays) की सहायता से पुराने प्रोग्राम को हटाकर नया प्रोग्राम लिखा जाता है।
  •  इसके लिए E-PROM को सर्किट से निकालना पड़ता है |
  •  इसे Ultra Voilet E-PROM  भी कहते हैं।

1.1.3. E E-PROM :

  •  इस तरह की ROM को सर्किट से निकाले बिना इस पर उच्च विद्युत विभव की सहायता से पुराने प्रोग्राम को हटाकर नया प्रोग्राम लिखा जा सकता है।
  •  इसका उपयोग मुख्यतः अनुसंधान में किया जाता है |

1. 2. RAM :

  •  यह एक अस्थायी मेमोरी है जहां डेटा और सूचनाओं को अस्थायी तौर पर रखा जाता है ।
  •  रैण्डम एक्सेस मेमरी में सूचनाओं को क्रमानुसार न पढ़कर सीधे वांछित सूचना को पढ़ा जा सकता है|
  •  इसमें संग्रहित सूचनाओं को बदला जा सकता है ।
  •  कंप्यूटर की पॉवर सप्लाई बंद कर देने पर रैम में संग्रहित डेटा Delete हो जाता है|

 रैम को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है।

  •  डायनॉमिक रैम (Dynamic RAM)
  •  स्टैटिक रैम (Static RAM)
         स्टैटिक रैम में कंप्यूटर की सप्लाई बंद कर देने पर भी संग्रहित डेटा सुरक्षित रहता है |

1.3. cache memory in computer / Cache Memory :

  • मेमोरी ( computer memory ) से डेटा प्राप्त करने की गति सीपीयू के डेटा प्रोसेस करने की गति से काफी धीमी होती है।
  • मेमोरी-प्रोसेसर के बीच इस गति अवरोध को दूर करने के लिए कैश मेमोरी का प्रयोग किया जाता है।
  • यह प्राथमिक मेमोरी और सीपीयू के बीच एक अत्यंत तीव्र मेमोरी है जहां बार-बार प्रयोग में आने वाले डेटा और निर्देशों को संग्रहित किया जाता है|

2. सेकेण्डरी मेमोरी (Secondary memory or Auxiliary Memory) :

  •  द्वितीयक मेमोरी में डेटा और सूचनाओं को बड़ी मात्रा में संग्रहित करने के लिए प्रयोग किया जाता है|
  • यह कंप्यूटर सिस्टम के बाहर स्थित होती है |
  •  इसे स्थायी कंप्यूटर मेमोरी (computer memory) भी कहा जाता है |
  • इसका प्रयोग मुख्यतः बैकअप डेटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है।

secondary memory

2.1. Serial Memory :

  •  इसमें वांछित डेटा को क्रमानुसार ही पढ़ा जा सकता है |
  •  इस कारण इस मेमोरी से डेटा को पढ़ने में समय अधिक लगता है
  •  इसका उपयोग ऐसी जगह किया जाता है, जहां लगभग सभी डेटा को प्रोसेस करने की जरूरत पड़ती है, जैसे— पे रोल, बिजली का    बिल बनाना, आदि ।

2.1.1. Magnetic Tape :

  •  इसमें एक प्लास्टिक रिबन पर चुम्बकीय पदार्थ की परत चढ़ी रहती है जिसे विद्युतीय हेड से  प्रभावित कर डेटा स्टोर किया जाता है।
  •  यह बड़ी मात्रा  में डेटा को स्टोर करने हेतु प्रयुक्त होता है |
  •  डेटा को कितनी भी बार लिखा और मिटाया तथा पढ़ा जा सकता है ।
  •  नया डेटा लिखने पर पुराना डेटा स्वयं मिट जाता है ।
  •  इसके उपयोग के लिए मैग्नेटिक टेप ड्राइव का प्रयोग किया जाता है ।

2.2. Direct Access Memory :

2.2.1. Floppy Disk :

  • यह प्लास्टिक का बना वृत्ताकार डिस्क होती है जिस पर चुम्बकीय पदार्थ की लेप चढ़ी रहती है ।
  • सुरक्षा के लिए इसे प्लास्टिक के वर्गाकार खोल में बंद रखा जाता है |
  • इसके बीच में धातु की बनी गोल धुरी होती है ।
  • floppy disk के ऊपरी भाग में लिखने-पढ़ने का खुला स्थान होता है जिसे खिसकने वाले एक ढक्कन से ढका जाता है |
  • इसके निचले कोने पर एक सुरक्षा छिद्र होता है जिसे बंद कर देने पर फ्लॉपी के डेटा में परिवर्तन नहीं किया जा सकता |
  • वर्तमान में प्रयुक्त फ्लॉपी की लंबाई 3½ इंच होती है ।
  • उच्च क्षमता वाले फ्लॉपी की भंडारण क्षमता 1.44 MB होती है, जबकि अति उच्च क्षमता वाले फ्लॉपी की भंडारण क्षमता 2.88 MB होती है |
  • फ्लॉपी कुछ वृत्ताकार पथों में बंटा होता है जिसे ट्रैक कहते हैं ।
  • ट्रैक पुनः सेक्टर में बंटा होता है। फ्लॉपी पर डेटा इसी सेक्टर में लिखा जाता है |
  • कंप्यूटर में इसे पढ़ने-लिखने के लिए फ्लॉपी डिस्क ड्राइव का प्रयोग किया जाता है जिसे ड्राइव ‘A’ नाम दिया जाता है|

2.2.2. Hard Disk :

  • यह मेमोरी एल्युमिनियम धातु के प्लेट से बना होता है जिस पर चुम्बकीय पदार्थ का लेप होता है।
  • इसकी भंडारण क्षमता अधिक तथा गति तीव्र होती है |
  • इसमें कई हार्ड डिस्क को एक धुरी पर रखकर डब्बे में सीलबंद कर दिया जाता है ।
  • इस कारण इसकी क्षमता सीमित हो जाती है|
  • डिस्क के दोनों सतहों पर डेटा लिखा जा सकता है |
  • हर सतह पर डेटा लिखने या पढ़ने के लिए एक अलग रीड-राइट हेड (read write head) होता है।
  • यह रीड-राइट हेड डेस्क के किसी भी ट्रैक के किसी भी सेक्टर पर सीधे पहुंच सकता है |
  • कंप्यूटर में लगी हार्ड डिस्क को ‘C’ ड्राइव का नाम दिया जाता है ।
  • जिसमें आवश्यक प्रोग्राम और डेटा स्टोर किया जाता है|

2.2.3. CD ROM—Compact Disk Read Only Memory :

  •  यह प्लास्टिक से बनी गोल डिस्क होती है|
  •  इसमें डिस्क के ऊपरी सतह पर प्रकाश परावर्तित करने वाले पदार्थ की लेप लगायी जाती है |
  •  डिस्क पर लिखने/पढ़ने के लिए लेजरबीम का प्रयोग किया जाता है |
  •  इसमें डेटा पढ़ने की गति हार्ड डिस्क की अपेक्षा धीमी होती है |
  •  सामान्य सीडी रॉम की भंडारण क्षमता 640 MB होती है|

2.2.4. CD-Recordable :

  • इसे WROM (Write Once, Read Many) डिस्क कहा जाता है ।
  • जिस पर केवल एक बार लिखा जा सकता है जबकि बार-बार पढ़ा जा सकता है ।
  • एक बार लिखे जाने के बाद डेटा बदला नहीं जा सकता ।
  • सीडी रॉम को सीडी ड्राइव (CD Drive) की सहायता से पढ़ा जाता है जिस पर रीड हेड बना रहता है |
  • इस पर लिखने के लिए सीडी राइटर का (CD Writer) प्रयोग किया जाता है |
  • सीडी रॉम पर लिखने के लिए उच्च तीव्रता वाले लेजर बीम का प्रयोग किया जाता है |

2.2.5. CD-Read/Write :

  •  इस तरह की डिस्क पर धातु की एक परत होती है ।
  •  इसके रासायनिक गुणों में परिवर्तन कर इस पर बार-बार लिखा और पढ़ा जा सकता है ।
  •  इसके लिए विशेष सीडी-आर/डब्ल्यू ड्राइव की जरूरत पड़ती है ।

2.2.6. DVD—Digital Video Disk :

  •  यह सीडी रॉम की तरह ही होता है, पर इसकी भंडारण क्षमता अधिक होती है।
  •  आरंभ में इसका प्रयोग चलचित्रें के लिए किया गया |
  •  ध्वनि के लिए इसमें डाल्बी डिजिटल या डिजिटल थियेटर सिस्टम का प्रयोग किया जाता है |
  • इसमें डेटा को दो लेयर में  संग्रहित किया जा सकता हैं |
  • एकल लेयर डिस्क की क्षमता 4.7 GB तथा दो लेयर डिस्क की क्षमता 8.5 GB होती है |

2.2.7. Pen Drive :

  •  इसे फ्लैश ड्राइव भी कहा जाता है ।
  •  यह पेन के आकार की इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी है ।
  •  इसे डिवाइस की तरह यूएसबी पोर्ट में लगाकर डेटा संग्रहित, परिवर्तित या पढ़ा जा सकता है ।

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