Programming Language In Computer in hindi :
Programming Language In Computer : Computer के सभी hardware उपकरण binary संख्याओं पर कार्य करते है। इस कारण से hardware पर सभी निर्देष भी binary code में ही दिए जाते है। computer के binary code में निर्देष ( instruction) देना आसान नही होता है। इस कारण से program language को विकसित किया गया है।
प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में ऐसे सभी instruction उपलब्ध होते है। जिनकी सहायता से computer hardware को operate किया जा सकता है। hardware को दिए जाने वाले प्रत्येक instruction को लिखने का तरीका निर्धारित रहता है, जिसे syntax कहते है। programming language ऐसे ही विभिन्न प्रकार के syntax का समूह होता है। programming language के माध्यम से user अपने कार्य को hardware तक पहंचा सकता है। इस कारण से computer तथा user के बिच data एवं information के आदान प्रदान ( communication ) के लिए programming language आवश्यक होती है।
किसी भी programming language के निम्नानुसार परिभाषित किया जा सकता है। programming language एक माध्यम के रूप में user एवं computer के बिच उपयोग मे लाई जाती है। अन्य भाषाओं के समान programming language की भी एक निर्धारित grammar होती है। जिसका उपयोग user program बनाने के दौरान करता है। किसी भी programming language की grammar ही उस language के विकास को दर्षाती है। programming language मे होने विकास क्रम ( Development ) के आधार पर इसे निम्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
- low level language
- Middle level language
- High level language
Low level language :
Advantages of machine language :-
- Machine language कम memory क्षमता वाले computers के लिए भी उपयोगी है।
- इस language में बनाए गए program किसी अन्य language में बनाए गए program कि तुलना में अधिक तेज गति से run होते है।
- इस language के program को run करने वाले किसी बाहरी Software कि आवष्यकता नही होती है।
Disadvantages of machine language :-
- machine language में program बनाना अत्याधिक कठिन होता है।
- machine language में लिखे गए program में किसी अन्य language में लिखे गए program कि सहायता नही ली जा सकती है।
- इस language में एक programmer के द्वारा लिखे गए program को किसी अन्य programmer के द्वारा नही समझा जा सकता है।
- इस language के program में किसी भी प्रकार का परिवर्तन करना कठिन होता है।
- machine language के program में Error पता करना आसान नही होता है।
Middle level language (Assembly language)
Advantages of Assembly language:-
- Assembly language में program बनाना machine language कि तुलना मे आसान होता है।
- यहां program में उपयोग मे लाए जा रहे data के लिए memory के address याद रखने की आवष्यकता नही होती है।
- इस language के instruction याद रखने मे आसान होते है।
- इस program को किसी भी अन्य programmer के द्वारा आसानी से समझा जा सकता है।
- Assembly language में बनाए गए program में error पता करके आसानी से दूर कि जा सकती है।
Disadvantages of Assembly language:-
- इस language के program को कम memory क्षमता वाले computer के लिए उपयोग मे नही लाया जा सकता है।
- Assembly language में बनाए गए programको run करवाने के लिए किसी language translator कि आवष्यकता होती है।
- इस language के program run होने में machine language कि तुलना मे अधिक समय लेते है।
- Assembly language किसी एक विषेष प्रकार के cpu के लिए निर्धारित रहती है।
- इसलिए इसे किसी अन्य प्रकार के computer system के लिए उपयोग मे नही लाया जा सकता है।
- इस language में गणितीय गणनाओं के लिए operator का उपयोग नही किया जा सकता है।
High level language :
1. Basic (Beginners of All Symbolic instruction & code) :
- सामान्य personal computer ( pc ) के लिए उपयोग मे लाई जाने वाली यह सबसे सरल HLL मानी जाती है।
- इस भाषा को Dr. John memory and thymus Kurtz ने विकसित की थी।
- इस basic language को ही आधार बनाकर microsoft ने visual basic जैसे विकसित programming tool को बनाया है।
2. Fortran (Formula Translation) :
- इस language को मुख्यतः वैज्ञानिकी एवं जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने के लिए विकसित किया गया था।
- International Business machine (IBM ) के John Backs ने सन् 1957 में विकसित की थी।
3. Pascal :
- इस language को यह नाम महान गणितज्ञ Blaise pascal के नाम पर दिया गया है,
- परन्तु इसे Nicklaus Wirth द्वारा पुर्णतय 1970 में विकसित किया गया था।
- इस language को मुख्यतः system software बनाने के लिए विकसित किया गया था।
4. COBOL (Common Language Business Oriented Language) :
- इस language को व्यवसायिक आकडो की गणना Business data processing के लिए विकसित किया गया था।
- यह अपने प्रकार की पहली ऐसी language थी
- जिसमें database management Software बनाऐं जा सकते थे।
5. C language :
- यह वर्तमान समय की प्रचलित H.L.L है।
- C language का विकास सन् 1972 में अमेरिका की AT & T Bell प्रयोग शाला में Dennis itchy एवं Ken Thompson द्वारा किया गया।
- इस language की सबसे महत्वपूर्ण विषेषता यह है कि इसमें Fortran के समान गणितिय समीकरण आसानी से हल किए जा सकते है।
- pascal के समान system Software भी बनाए जा सकते है।
6. C++ Language :
- C++ को C language का विकसित संस्करण माना जाता है।
- इस language में object Oriented programming सिंद्धांत का उपयोग किया गया है।
- ववच के कारण इस language में programmer को एक समान Function एक से अधिक बार उपयोग मे लाने की सुविधा प्राप्त होती है।
7. JAVA :
- इस language को Sun Microsystem द्वारा 1990 के दशक मे विकसित किया गया।
- यह language भी पुर्ण रूप से object Oriented programming सिंद्धांत पर कार्य करती है।
- इस language का मुख्य उपयोग Internet या Web Application बनाने मे किया जाता है।
Fourth Generation language (4GL) :
Advantages of 4GL :-
- 4GL में उपलब्ध language को सिखना एवं उपयोग मे लाना सरल होता है।
- 4GL में programmer को text एवं visual दोनो प्रकार के View उपलब्ध करवाए जाते है।
- इसमें किसी task केवल एक statement की सहायता से पुरा किया जा सकता है।
- 4GL इस language में किसी भी प्रकार के Software बनाये जा सकते है।
Disadvantages of 4GL :-
- 4GL का उपयोग उच्च प्रोसेसिंग क्षमता वाले ( High configuration ) system पर हि किया जा सकता है।
- 4GL में बनाए program को run करवाने के लिए अधिक memory क्षमता की आवष्यकता होती है।
- इसमें Software बनाने के लिए विषेषज्ञों की आवष्यकता होती है।
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