what is HTTP and HTTPS ? Difference between HTTP and HTTPS – in hindi

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Difference between HTTP and HTTPS

HTTP and HTTPS में क्या है और इसमें क्या अंतर है :

क्या आप जानते हैं की HTTP और HTTPS क्या (what is HTTP and HTTPS) है? आपने इन दोनों शब्द को web browser के address bar में देखा ही होगा, आपने इन्हें किसी website के url में शुरुआत में देखा ही होगा। आपके मन में कभी न कभी यह प्रश्न आया होगा की आखिर ये क्या हैं, ये काम कैसे करते हैं और HTTP और HTTPS के बीच में क्या अंतर (Difference between HTTP and HTTPS) है।

आज इस Post में हमने HTTP और HTTPS के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की है और उम्मीद करते है की इसे पढ़के HTTP और HTTPS से जुड़े आपको आपके सारे सवालों का जवाब आपको मिल जायेंगे |

HTTP क्या है :

HTTP का फुल फॉर्म हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल होता है www पर यदि हमें पाठ , विडियो या ग्राफिक इमेज , ध्वनि , अन्य मल्टीमीडिया फ़ाइलों फ़ाइलों को स्थानांतरित करने के लिए नियमों का समूह एक समूह बनाया है। जब भी कोई users वेब ब्राउज़र ओपन करता है, यूजर्स अप्रत्यक्ष रूप से HTTP का उपयोग करने लगता है। HTTP एक एप्लिकेशन प्रोटोकॉल है जो टीसीपी / आईपी सूट ऑफ प्रोटोकॉल (इंटरनेट के लिए नींव प्रोटोकॉल) के शीर्ष पर कार्य करता है। HTTP का नया वर्शन HTTP / 2 है, जिसको मई 2015 में रिलीज़ किया गया था। यह पुराने , HTTP 1.1 का विकल्प है, परन्तु यह प्रचलित है।

ये http काम केसे करता है :

वेब सर्वर मशीन में HTTP डेमॉन होता है जो , एक प्रोग्राम HTTP रिक्वेस्ट करने तथा प्राप्त होने पर उन्हें कण्ट्रोलकरने के लिए डिज़ाइन किया गया है। वेब ब्राउज़र एक HTTP क्लाइंट है, यह सर्वर मशीनों के लिए रिक्वेस्ट करता है। user जब किसी वेब फ़ाइल को ओपन नाम लिख कर या हाइपरटेक्स्ट लिंक की सहायता से फ़ाइल को लिए रिक्वेस्ट करता है, तो ब्राउज़र एक HTTP रिक्वेस्ट क्रिएट करता है इसे जिस इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस से रिक्वेस्ट आती है उस एड्रेस पर उसे भेज देता है server http डोमन के साथ फाइल पुनः भेजता है।

उदाहरण के साथ हम समझते है की , कोई user techologytips.in पर जाता है user उस एड्रेस को लिखता है तथा कंप्यूटर उस एड्रेस को होस्ट करने वाले सर्वर को GET रिक्वेस्ट भेजता है। GET रिक्वेस्ट को HTTP का use करके भेजा जाता है फिर यह techologytips.in सर्वर पर सर्च कर रहा है कि user HTML कोड को सर्च कर रहा है जब यह रिक्वेस्ट की जा रही हैं, तो वे टीसीपी / आईपी का उपयोग कम कर के व users को शून्य के बाइनरी नंबर के छोटे पैकेटों में इनफार्मेशन को भेजता है तथा यह इनफार्मेशन भौतिक तारों, फाइबर ऑप्टिक केबल या वायरलेस नेटवर्क के माध्यम से भेज दिए जाते हैं।

https क्या है :

https का फुल फॉर्म हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल सिक्योर होता है जिसका उपयोग http की तरह ही वेब ब्राउजर और वेबसाइट के मध्य डाटा भेजने के लिए उपयोग किया जाने वाला प्राइमरी प्रोटोकॉल है।HTTPS की सहायता से हम डाटा को सिक्यूरिटी के साथ डाटा को भजे सकते है | https में डेटा ट्रांसफर की सुरक्षा बढ़ाने के लिए डाटा को एन्क्रिप्ट करके भेजा जाता है। यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण तब है |

जब users को संवेदनशील डेटा को भेजना हो , जैसे कि बैंक खाते, ईमेल सेवा, या स्वास्थ्य बीमा प्रदाता। सभी वेबसाइट को या उन विशेष वेबसाइट को जिनमें लॉगिन क्रेडेंशियल की जरुरत होती है, उन्हें HTTPS का use करना हि चाहिए। Chrome जैसे नये वेब ब्राउज़र में, HTTPS का इस्तेमाल करने वाली वेबसाइटें तथा https का इस्तेमाल नही करने वाली दोनों अलग-अलग हैं। webpage सिक्योर है या नही यह देखने के लिए यूआरएल में ग्रीन पेडलॉक देखना चाहिए |

HTTPS कैसे काम करता है? :

HTTPS एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल का use करता है जिसमे डाटा को एन्क्रिप्टेड फॉरमेट में भेजा जाता है प्रोटोकॉल को पहले (एस एस एल) सिक्योर सॉकेट लेयर जाना जाता था फिर बाद में (टी सी एल )ट्रान्सफर सिक्योरिटी लेयर कहा जाता है इस प्रोटोकॉल में सीक्रेट key का use कर डाटा को सिक्योर रखा जाता है इसमें सुरक्षा प्रणाली को ध्यान में रखते हुए दो पक्षों के बीच संचार को एन्क्रिप्ट करने के लिए दो अलग-अलग key का use किया जाता है|

जिसमे पहली प्राइवेट key होती है जिसका use वेबसाइट का मालिक इसका use करता है यह key एक वेब सर्वर होती है तथा इसका use पब्लिक key द्वारा एन्क्रिप्ट की गई इनफार्मेशन को डिक्रिप्ट करने के लिए उपयोग में लायी जाती है। दूसरी key है पब्लिक key यह की सभी को पता होती है जो server पर बात करते है जो सिक्योर है पब्लिक key द्वारा एन्क्रिप्ट की गई इनफार्मेशन को सिर्फ प्राइवेट key द्वारा डिक्रिप्ट किया जा सकता है।

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